Swati Sharma

Add To collaction

लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 4)

    सच में बचपन के दिन बड़े सुहावने होते है। जितना याद करो उतना ही कम लगता है। जब मैं छोटी थी, तब सोचती थी जल्दी से बड़ी हो जाऊं। फिर मां की सहायता करूंगी। मम्मा हमेशा कहती कि बड़े हो जाओगे तो बचपन के दिन याद करोगे। सच में मां की बात सही साबित होती नज़र आती है। अब बचपन के दिन बहुत याद आते हैं।

    उस समय मैं बहुत छोटी हुआ करती थी जब चाचा से पहले मेरी एक और बुआ की शादी हुई थी, जब वो अग्नि के सामने फेरे ले रही थीं। मैं अचानक से ज़ोर- ज़ोर से रोने लगी और कहने लगी कि मेरी बुआ को मत जलाओ। सभी लोग हैरान रह गए। किसी को यह समझ नहीं आ रहा था कि मेरी इस। मासूमियत पर हंसे या कोई और प्रतिक्रिया दें। अब भी सब लोग उस वक्त को याद करके खूब हंसते हैं। परंतु, मैं उस समय नासमझ थी। मुझे मालूम ही नहीं था कि आखिर यह सब हो क्या रहा है।
    जब हम बड़ी बुआ के घर जाते थे, तो सभी बच्चे एक ही बड़ी थाली लेकर बैठते और जैसे ही गरमा-गर्म रोटी उसमे आती हम लोगों के बीच प्रतियोगिता होती थी कि कौन पहले रोटी तोड़ेगा वो भी बीचों बीच होनी चाहिए जिसका टुकड़ा एकदम गोल होना चाहिए। उसे ही हम विजेता मानते थे। बस फिर क्या रोटी जैसे ही थाली में आई कि टूट पड़ते सभी। सबकी माएं डांटती रह जाती तब चुपचाप खेलते कहते कि कोई शोर नहीं करेगा चुपचाप खेलेंगे ताकि मम्मी को पता ना चले।
    मेरे चाचा का छोटा लड़का बेचारा बहुत मासूम था। हम सब बच्चे जब एक साथ मिल जाते तो धमा-चौकड़ी मचाते और जैसे ही मेरी मम्मी रसोई से बाहर कमरे में आतीं सब चुप बैठ जाते वो बेचारा उछलता रहता। मम्मी को अचनक देखकर बेचारा के मारे बोलता बड़ी मम्मी ये सब भी मस्ती कर रहे थे, अभी चुप बैठे हैं। मम्मी सब समझती, उससे कहती चल बेटा तू मेरे साथ रसोई में चल ये सब बदमाश हैं, तुझे फंसा कर खुद चुपचाप बैठ जाते हैं। वो मम्मी के साथ चला जाता और कहता बड़ी मम्मी आप मुझे गोद ले लो और आपका एक बच्चा मेरे मम्मी पापा को दे दो। उसे मेरे मम्मी पापा बड़े पसंद आते। उसे ही नहीं जब मैं बाहर पढ़ने गई। तब मेरे दोस्तों का भी यही कहना होता था कि तू हमारे मम्मी पापा के पास चाय जा और हमें तेरे मम्मी पापा दे दे। मैं कहती मैं नहीं देने वाली। मुझे मेरे मम्मी पापा से बहुत प्यार है, तुम तुम्हारे संभालो। इस तरह हम लोग खूब हंसी ठिठोली करते।
           अपने भाई- बहनों के साथ मिलकर टैप रिकॉर्डर में गाने रिकॉर्ड करती थी और सबसे करवाती एवम सबको सुनाती थी। मेरी बुआ के लड़के पंकज भैया हम सबके लीडर थे। जब हम सब मिलते तो वही हमें गाइड करते कि कैसे मस्ती करनी है। छुपन छुपाई, लंगड़ी टांग, आंख मिचौली, पकड़म पकड़ाई हमारे मन पसंद खेल होते थे।

   15
2 Comments

Swati Sharma

05-Jan-2023 11:27 PM

Thanks

Reply